श्राद्ध के बारे में जाने
श्राद्ध में तर्पण प्रदर्शन, हमारे पूर्वजों का सम्मान करने का एक तरीका है। यह लोगों को अपने माता–पिता और पूर्वजों के प्रति हार्दिक कृतज्ञता और धन्यवाद व्यक्त करने के लिए एक रास्ता है| श्राद्ध यह बताने का एक तरीका है, कि वे अभी भी परिवार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और वे अभी भी हमारी यादों में रहते हैं| यदि Shraddh में तर्पण की रस्में प्रदर्शन नहीं करते है, तो पितृ दोष उत्पन्न होती है। श्राद्ध पितृ पक्ष के रूप में भी जाना जाता है।
क्यों जरूरी है श्राद्ध?
हिंदू धर्म में, यह एक ‘पूर्वजों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के अनुष्ठान है, कि हर साल, 16 दिन की महत्वपूर्ण अवधि पूर्वजों या पितरों को समर्पित है। पितृ पक्ष तर्पण अनुष्ठान के लिए एकदम सही माना जाता है। श्राद्ध सही शरद ऋतु में नवरात्रि से पहले होता है।
“यह पितृ पक्ष या Shraadh पक्ष के दौरान पुण्यतिथि पर किया जाता है”. कौवा को भी खाना खिलाया जाता है|
जानिए श्राद्ध का महत्व
माना जाता है कि कौए के रूप में हमारे पूर्वज ही भोजन करते हैं । इसलिए कौओं को आमंत्रित कर उन्हें श्राद्ध का पहला भोग खिलाया जाता है ।
भगवान श्रीराम ने अवतार लिया और जयंत ने कौऐ का रूप धर कर माता सीता को घायल कर दिया था, तब भगवान
श्रीराम ने गुस्से में तिनके से ब्रह्मास्त्र चलाकर जयंत की आंख फोड़ दी थी । जब उसने अपने किए की माफी मांगी तब राम ने उसे यह वरदान दिया की कि तुम्हें अर्पित किया गया भोजन पितरों को मिलेगा । तभी से श्राद्ध में कौओं को भोजन कराने की परंपरा चली आ रही है और यही कारण है कि श्राद्ध पक्ष में कौओं को ही पहले भोजन कराया जाता है । कौए को भोजन कराने से सभी तरह का पितृ और कालसर्प दोष दूर हो जाता है ।
श्राद्ध की रस्में
(पैसा) की भेंट देते हैं। हिंदू पौराणिक कथाओं में एक धारणा है कि यह ब्राह्मण भोज पूर्वजों तक पहुंचता है।