उत्तराखंड में गंगा दशहरा महोत्सव
आप सभी को पावन गंगा दशहरे की बहुत-बहुत बधाई व शुभकामनायें!
गंगा दशहरा बहुत उत्साह से उत्तराखंड में मनाया जाता है। यह त्यौहार ज्येष्ठ (मई-जून) के दसवें दिन शुरू होता है हिन्दू कैलेंडर के अनुसार।
कोई लोग पोस्टर पर ज्यामितीय डिजाइनों के साथ ,इन पोस्टरों को अपने घर के सभी दरवाजों के ऊपर ये द्वार पत्र लगाते है|
(*Parts of artwork have been borrowed from the internet, with due thanks to the owner of the photograph/art)
गंगा दशहरे का महत्व
जिस दिन राजा भगीरथी की तपस्या से प्रसन्न होकर गंगा माता धरती पर अवतरित हुयी थी, वह ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की दशमी का पावन दिन था।माँ गंगा के धरती पर अवतरण के कारण यह दिन गंगा दशहरा के नाम से जाना जाने लगा।इसी दिन माँ गंगा के जल के पावन स्पर्श राजा भगीरथ के पूर्वजों का तारण हुआ था। कहा जाता है कि इस दिन गंगा नदी में खड़े होकर जो गंगा स्तोत्र पढ़ता है वह पापों से मुक्त हो जाता है। स्कंद पुराण में इस स्तोत्र का वर्णन मिलता है।
कुमाऊँ में भी ज्येष्ठ सुदी १० को गंगा दशहरा मनाया जाता है। यह पुरे भारत में मनाये जाने वाला पर्व है। इस दिन स्नान,ध्यान और दान का विशेष महत्व होता है। कुमाऊँ में “अगस्व्यश्च पुलस्व्यश्च” इत्यादि तीन श्लोक एक कागज के पर्चे में लिखकर प्रत्येक घर के द्वार पर चिपकाये जाते हैं। ब्राह्मणों को दक्षिणा देने का भी प्रचलन है,पुराने समय में हस्त निर्मित “दशहरा पत्र” का प्रचलन था पर अब प्रिंटेड पत्रों का चलन हो गया है। यह विश्वास है कि वज्रपात, बिजली आदि का भय इस ‘दशहरे के पत्र’ के लगाने से नहीं होता है।