उत्तराखंड कविता हिन्दी | पहाड़ी कविता

उत्तराखंड पर कवितायें : POEMS ON UTTARAKHAND

तू ठहरी coffee की शौक़ीन

, मैं ठहरा चूल्हे की चाय का अमली।

–तू ठहरी DJ और लाउंज वाली , मैं

ठहरा पहाड़ी ढोल – दमुआ वाला ।

–तुझे शौक़ ठहरा स्विमिंग पूल का , मैं
ठहरा नदियों – धारों वाला ।
–Mom-dad कहना तो नहीं सीखा ,
लेकिन इजा और बौजु से सब सीखा ।
–तूने आज तक डाँट भी खाई की नहीं,
लेकिन मैंने तो मार के साथ शिशूने का
ढाग भी खाया है।
— pop म्यूज़िक नहीं सुनता भूली ,मैं
पहाड़ी गाने वाला ठहरा।
–Mumbai का नहीं
भूली, मैं उत्तराखंड
वाला ठहरा ।

ईजा की इच्छा- ब्वारि 👰 ऐसी चााहिए

ब्वारि 👰 ऐसी चााहिएजो अंग्रजी के साथ कुमाउनी में भी बात करती हो

घास काटने 🌾🌾के साथ फेसबुक भी चलाती हो
टीबी पर न चिपकी रहे,
गुणी बानर🐒 भी भगाती हो..
ब्वारि👰 ऐसी चााहिए , जो सबको भाती हो..
ब्वारि ऐसी चााहिए
पिज्जा 🍕🍝चोमिन के साथ भट के डूबुक भी बनाती हो..
चाइनीज के साथ कडवा तेल का दीया
भी जलाती हो..
ब्वारि ऐसी चााहिए जो सबको भाती हो,
ब्वारि ऐसी चााहिए
जींस👖 टॉप 🎽के साथ बाजू बंद भी लगाती हो…
ननाओ को अंग्रजी के साथ कुमाउनी भी
सिखाती हो,

http://uttaranchalhills.blogspot.com/

ब्वारि 👰ऐसी चााहिए जो सबको भाती हो
पंजाबी गीतों के साथ कुमाउनी गढवाली गीतों
पर सब को नचाती हो..
मुझे देख के न सही पर जेठणा जी को देख कर
शरमाती हो,🙆..
हिंदी गीतों के साथ ललित मोहन जोशी जी के गाने
भी गुनगुनाती हो,..
थैली के दुध के भरोंसे न रहकर भैस 🐃गोरु भी
पिवाती हो,
ब्वारि👰 ऐसी चााहिए जो सबको भाती हो,..
शहर घुमने का शौक हो पर गाँव मे गाय भैस 🐃भी
चराती हो,
चटि पटि खाणे के साथ लेसु🍩 रोटि भी पकाती हो,
खदर की धोती के साथ धूप चश्मा👓 भी
लगाती हो..
ब्वारि 👰ऐसी चााहिए जो सबको भाती हो
😀😀😀😀😀😀😀😀😀



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